रामायणम् — 7.75.15
Original
Segmented
यदा हि प्रीति-संयोगम् त्वया विष्णो समागतः तदा प्रभृति लोकानाम् नाथ-त्वम् उपलब्धवान्
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| यदा | यदा | pos=i |
| हि | हि | pos=i |
| प्रीति | प्रीति | pos=n,comp=y |
| संयोगम् | संयोग | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| त्वया | त्वद् | pos=n,g=,c=3,n=s |
| विष्णो | विष्णु | pos=n,g=m,c=8,n=s |
| समागतः | समागम् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
| तदा | तदा | pos=i |
| प्रभृति | प्रभृति | pos=i |
| लोकानाम् | लोक | pos=n,g=m,c=6,n=p |
| नाथ | नाथ | pos=n,comp=y |
| त्वम् | त्व | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| उपलब्धवान् | उपलभ् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |