रामायणम् — 7.14.2
Original
Segmented
धूम्राक्षेण च वीरेण नित्यम् समर-गृध्नुना वृतः सम्प्रययौ श्रीमान् क्रोधात् लोकान् दहन्न् इव
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| धूम्राक्षेण | धूम्राक्ष | pos=n,g=m,c=3,n=s |
| च | च | pos=i |
| वीरेण | वीर | pos=n,g=m,c=3,n=s |
| नित्यम् | नित्यम् | pos=i |
| समर | समर | pos=n,comp=y |
| गृध्नुना | गृध्नु | pos=a,g=m,c=3,n=s |
| वृतः | वृ | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
| सम्प्रययौ | सम्प्रया | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
| श्रीमान् | श्रीमत् | pos=a,g=m,c=1,n=s |
| क्रोधात् | क्रोध | pos=n,g=m,c=5,n=s |
| लोकान् | लोक | pos=n,g=m,c=2,n=p |
| दहन्न् | दह् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
| इव | इव | pos=i |