Original

स शैलशृङ्गाभिहतश्चुकोप ननाद कोपाच्च विवृत्य वक्त्रम् ।व्याविध्य शूलं च तडित्प्रकाशं चिक्षेप हर्यृक्षपतेर्वधाय ॥ ४५ ॥

Segmented

स शैल-शृङ्ग-अभिहतः चुकोप ननाद कोपात् च विवृत्य वक्त्रम् व्याविध्य शूलम् च तडित्-प्रकाशम् चिक्षेप हरि-ऋक्ष-पत्युः वधाय

Analysis

Word Lemma Parse
तद् pos=n,g=m,c=1,n=s
शैल शैल pos=n,comp=y
शृङ्ग शृङ्ग pos=n,comp=y
अभिहतः अभिहन् pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part
चुकोप कुप् pos=v,p=3,n=s,l=lit
ननाद नद् pos=v,p=3,n=s,l=lit
कोपात् कोप pos=n,g=m,c=5,n=s
pos=i
विवृत्य विवृ pos=vi
वक्त्रम् वक्त्र pos=n,g=n,c=2,n=s
व्याविध्य व्याव्यध् pos=vi
शूलम् शूल pos=n,g=n,c=2,n=s
pos=i
तडित् तडित् pos=n,comp=y
प्रकाशम् प्रकाश pos=n,g=n,c=2,n=s
चिक्षेप क्षिप् pos=v,p=3,n=s,l=lit
हरि हरि pos=n,comp=y
ऋक्ष ऋक्ष pos=n,comp=y
पत्युः पति pos=n,g=m,c=6,n=s
वधाय वध pos=n,g=m,c=4,n=s