Original

मानुषं कृपणं राममेकं शाखामृगाश्रयम् ।समर्थं मन्यसे केन त्यक्तं पित्रा वनालयम् ॥ ४ ॥

Segmented

मानुषम् कृपणम् रामम् एकम् शाखामृग-आश्रयम् समर्थम् मन्यसे केन त्यक्तम् पित्रा वन-आलयम्

Analysis

Word Lemma Parse
मानुषम् मानुष pos=a,g=m,c=2,n=s
कृपणम् कृपण pos=a,g=m,c=2,n=s
रामम् राम pos=n,g=m,c=2,n=s
एकम् एक pos=n,g=m,c=2,n=s
शाखामृग शाखामृग pos=n,comp=y
आश्रयम् आश्रय pos=n,g=m,c=2,n=s
समर्थम् समर्थ pos=a,g=m,c=2,n=s
मन्यसे मन् pos=v,p=2,n=s,l=lat
केन pos=n,g=m,c=3,n=s
त्यक्तम् त्यज् pos=va,g=m,c=2,n=s,f=part
पित्रा पितृ pos=n,g=m,c=3,n=s
वन वन pos=n,comp=y
आलयम् आलय pos=n,g=m,c=2,n=s