रामायणम् — 6.14.6
Original
Segmented
आत्म-प्रशंसिनम् दुष्टम् धृष्टम् विपरिधावकम् सर्वत्र उत्सृष्ट-दण्डम् च लोकः सत्कुरुते नरम्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
आत्म | आत्मन् | pos=n,comp=y |
प्रशंसिनम् | प्रशंसिन् | pos=a,g=m,c=2,n=s |
दुष्टम् | दुष् | pos=va,g=m,c=2,n=s,f=part |
धृष्टम् | धृष् | pos=va,g=m,c=2,n=s,f=part |
विपरिधावकम् | विपरिधावक | pos=a,g=m,c=2,n=s |
सर्वत्र | सर्वत्र | pos=i |
उत्सृष्ट | उत्सृज् | pos=va,comp=y,f=part |
दण्डम् | दण्ड | pos=n,g=m,c=2,n=s |
च | च | pos=i |
लोकः | लोक | pos=n,g=m,c=1,n=s |
सत्कुरुते | सत्कृ | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
नरम् | नर | pos=n,g=m,c=2,n=s |