Original

कृत्वा मूर्ध्नि पदन्यासं रावणस्य दुरात्मनः ।त्वां द्रष्टुमुपयातोऽहं समाश्रित्य पराक्रमम् ॥ ३८ ॥

Segmented

कृत्वा मूर्ध्नि पदन्यासम् रावणस्य दुरात्मनः त्वाम् द्रष्टुम् उपयातो ऽहम् समाश्रित्य पराक्रमम्

Analysis

Word Lemma Parse
कृत्वा कृ pos=vi
मूर्ध्नि मूर्धन् pos=n,g=m,c=7,n=s
पदन्यासम् पदन्यास pos=n,g=m,c=2,n=s
रावणस्य रावण pos=n,g=m,c=6,n=s
दुरात्मनः दुरात्मन् pos=a,g=m,c=6,n=s
त्वाम् त्वद् pos=n,g=,c=2,n=s
द्रष्टुम् दृश् pos=vi
उपयातो उपया pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part
ऽहम् मद् pos=n,g=,c=1,n=s
समाश्रित्य समाश्रि pos=vi
पराक्रमम् पराक्रम pos=n,g=m,c=2,n=s