रामायणम् — 1.56.18
Original
Segmented
शिरसा प्रणतो याचे ब्राह्मणांस् तपसि स्थितान् ते माम् भवन्तः सिद्धि-अर्थम् याजयन्तु समाहिताः स शरीरः यथा अहम् हि देव-लोकम् अवाप्नुयाम्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
शिरसा | शिरस् | pos=n,g=n,c=3,n=s |
प्रणतो | प्रणम् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
याचे | याच् | pos=v,p=1,n=s,l=lat |
ब्राह्मणांस् | ब्राह्मण | pos=n,g=m,c=2,n=p |
तपसि | तपस् | pos=n,g=n,c=7,n=s |
स्थितान् | स्था | pos=va,g=m,c=2,n=p,f=part |
ते | तद् | pos=n,g=m,c=1,n=p |
माम् | मद् | pos=n,g=,c=2,n=s |
भवन्तः | भवत् | pos=a,g=m,c=1,n=p |
सिद्धि | सिद्धि | pos=n,comp=y |
अर्थम् | अर्थ | pos=n,g=m,c=2,n=s |
याजयन्तु | याजय् | pos=v,p=3,n=p,l=lot |
समाहिताः | समाहित | pos=a,g=m,c=1,n=p |
स | स | pos=i |
शरीरः | शरीर | pos=n,g=m,c=1,n=s |
यथा | यथा | pos=i |
अहम् | मद् | pos=n,g=,c=1,n=s |
हि | हि | pos=i |
देव | देव | pos=n,comp=y |
लोकम् | लोक | pos=n,g=m,c=2,n=s |
अवाप्नुयाम् | अवाप् | pos=v,p=1,n=s,l=vidhilin |