महाभारतम् — 9.34.37
Original
Segmented
विमुक्त-शापः पुनः आप्य तेजः सर्वम् जगद् भासयते नरेन्द्र एवम् तु तीर्थ-प्रवरम् पृथिव्याम् प्रभासनात् तस्य ततः प्रभासः
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
विमुक्त | विमुच् | pos=va,comp=y,f=part |
शापः | शाप | pos=n,g=m,c=1,n=s |
पुनः | पुनर् | pos=i |
आप्य | आप् | pos=vi |
तेजः | तेजस् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
सर्वम् | सर्व | pos=n,g=n,c=2,n=s |
जगद् | जगन्त् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
भासयते | भासय् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
नरेन्द्र | नरेन्द्र | pos=n,g=m,c=8,n=s |
एवम् | एवम् | pos=i |
तु | तु | pos=i |
तीर्थ | तीर्थ | pos=n,comp=y |
प्रवरम् | प्रवर | pos=a,g=n,c=1,n=s |
पृथिव्याम् | पृथिवी | pos=n,g=f,c=7,n=s |
प्रभासनात् | प्रभासन | pos=n,g=n,c=5,n=s |
तस्य | तद् | pos=n,g=m,c=6,n=s |
ततः | ततस् | pos=i |
प्रभासः | प्रभास | pos=n,g=m,c=1,n=s |