महाभारतम् — 9.2.58
Original
Segmented
दैव-उपहत-चित्तेन यत् मया अपकृतम् पुरा अनयस्य फलम् तस्य ब्रूहि गावल्गणे पुनः
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| दैव | दैव | pos=n,comp=y |
| उपहत | उपहन् | pos=va,comp=y,f=part |
| चित्तेन | चित्त | pos=n,g=m,c=3,n=s |
| यत् | यद् | pos=n,g=n,c=1,n=s |
| मया | मद् | pos=n,g=,c=3,n=s |
| अपकृतम् | अपकृ | pos=va,g=n,c=1,n=s,f=part |
| पुरा | पुरा | pos=i |
| अनयस्य | अनय | pos=n,g=m,c=6,n=s |
| फलम् | फल | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| तस्य | तद् | pos=n,g=m,c=6,n=s |
| ब्रूहि | ब्रू | pos=v,p=2,n=s,l=lot |
| गावल्गणे | गावल्गणि | pos=n,g=m,c=8,n=s |
| पुनः | पुनर् | pos=i |