Original

स एवं सर्वधर्मज्ञो मित्रधर्ममनुस्मरन् ।नियच्छ मन्युं पाञ्चाल्यात्प्रशाम्य शिनिपुंगव ॥ ५२ ॥

Segmented

स एवम् सर्व-धर्म-ज्ञः मित्र-धर्मम् अनुस्मरन् नियच्छ मन्युम् पाञ्चाल्यात् प्रशाम्य शिनि-पुंगवैः

Analysis

Word Lemma Parse
तद् pos=n,g=m,c=1,n=s
एवम् एवम् pos=i
सर्व सर्व pos=n,comp=y
धर्म धर्म pos=n,comp=y
ज्ञः ज्ञ pos=a,g=m,c=1,n=s
मित्र मित्र pos=n,comp=y
धर्मम् धर्म pos=n,g=m,c=2,n=s
अनुस्मरन् अनुस्मृ pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part
नियच्छ नियम् pos=v,p=2,n=s,l=lot
मन्युम् मन्यु pos=n,g=m,c=2,n=s
पाञ्चाल्यात् पाञ्चाल्य pos=a,g=m,c=5,n=s
प्रशाम्य प्रशम् pos=v,p=2,n=s,l=lot
शिनि शिनि pos=n,comp=y
पुंगवैः पुंगव pos=n,g=m,c=8,n=s