महाभारतम् — 6.99.32
Original
Segmented
व्यमृद्नात् समरे राजन् तुरगान् च नरान् रणे एवम् ते बहुधा राजन् प्रमृद्नन्तः परस्परम्
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| व्यमृद्नात् | विमृद् | pos=v,p=3,n=s,l=lan |
| समरे | समर | pos=n,g=n,c=7,n=s |
| राजन् | राजन् | pos=n,g=m,c=8,n=s |
| तुरगान् | तुरग | pos=n,g=m,c=2,n=p |
| च | च | pos=i |
| नरान् | नर | pos=n,g=m,c=2,n=p |
| रणे | रण | pos=n,g=m,c=7,n=s |
| एवम् | एवम् | pos=i |
| ते | तद् | pos=n,g=m,c=1,n=p |
| बहुधा | बहुधा | pos=i |
| राजन् | राजन् | pos=n,g=m,c=8,n=s |
| प्रमृद्नन्तः | प्रमृद् | pos=va,g=m,c=1,n=p,f=part |
| परस्परम् | परस्पर | pos=n,g=m,c=2,n=s |