Original

शैनेयं स तु निर्भिद्य प्राविशद्धरणीतलम् ।वसन्तकाले बलवान्बिलं सर्पशिशुर्यथा ॥ ४७ ॥

Segmented

शैनेयम् स तु निर्भिद्य प्राविशद् धरणी-तलम् वसन्त-काले बलवान् बिलम् सर्प-शिशुः यथा

Analysis

Word Lemma Parse
शैनेयम् शैनेय pos=n,g=m,c=2,n=s
तद् pos=n,g=m,c=1,n=s
तु तु pos=i
निर्भिद्य निर्भिद् pos=vi
प्राविशद् प्रविश् pos=v,p=3,n=s,l=lan
धरणी धरणी pos=n,comp=y
तलम् तल pos=n,g=n,c=2,n=s
वसन्त वसन्त pos=n,comp=y
काले काल pos=n,g=m,c=7,n=s
बलवान् बलवत् pos=a,g=m,c=1,n=s
बिलम् बिल pos=n,g=n,c=2,n=s
सर्प सर्प pos=n,comp=y
शिशुः शिशु pos=n,g=m,c=1,n=s
यथा यथा pos=i