Original

अवस्थितं च प्रणिपत्य कृष्णं प्रीतोऽर्जुनः काञ्चनचित्रमाली ।उवाच कोपं प्रतिसंहरेति गतिर्भवान्केशव पाण्डवानाम् ॥ ९९ ॥

Segmented

अवस्थितम् च प्रणिपत्य कृष्णम् प्रीतो ऽर्जुनः काञ्चन-चित्र-माली उवाच कोपम् प्रतिसंहर इति गतिः भवान् केशव पाण्डवानाम्

Analysis

Word Lemma Parse
अवस्थितम् अवस्था pos=va,g=m,c=2,n=s,f=part
pos=i
प्रणिपत्य प्रणिपत् pos=vi
कृष्णम् कृष्ण pos=n,g=m,c=2,n=s
प्रीतो प्री pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part
ऽर्जुनः अर्जुन pos=n,g=m,c=1,n=s
काञ्चन काञ्चन pos=n,comp=y
चित्र चित्र pos=a,comp=y
माली मालिन् pos=a,g=m,c=1,n=s
उवाच वच् pos=v,p=3,n=s,l=lit
कोपम् कोप pos=n,g=m,c=2,n=s
प्रतिसंहर प्रतिसंहृ pos=v,p=2,n=s,l=lot
इति इति pos=i
गतिः गति pos=n,g=f,c=1,n=s
भवान् भवत् pos=a,g=m,c=1,n=s
केशव केशव pos=n,g=m,c=8,n=s
पाण्डवानाम् पाण्डव pos=n,g=m,c=6,n=p