महाभारतम् — 5.47.17
Original
Segmented
सैन्यान् अनेकान् तरसा विमृद्नन् यदा क्षेप्ता धार्तराष्ट्रस्य सैन्यम् छिन्दन् वनम् परशुना इव शूरस् तदा युद्धम् धार्तराष्ट्रो ऽन्वतप्स्यत्
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| सैन्यान् | सैन्य | pos=n,g=m,c=2,n=p |
| अनेकान् | अनेक | pos=a,g=m,c=2,n=p |
| तरसा | तरस् | pos=n,g=n,c=3,n=s |
| विमृद्नन् | विमृद् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
| यदा | यदा | pos=i |
| क्षेप्ता | क्षिप् | pos=v,p=3,n=s,l=lrt |
| धार्तराष्ट्रस्य | धार्तराष्ट्र | pos=n,g=m,c=6,n=s |
| सैन्यम् | सैन्य | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| छिन्दन् | छिद् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
| वनम् | वन | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| परशुना | परशु | pos=n,g=m,c=3,n=s |
| इव | इव | pos=i |
| शूरस् | शूर | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| तदा | तदा | pos=i |
| युद्धम् | युद्ध | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| धार्तराष्ट्रो | धार्तराष्ट्र | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| ऽन्वतप्स्यत् | अनुतप् | pos=v,p=3,n=s,l=lrn |