Original

ययोश्चित्तेन वा चित्तं नैभृतं नैभृतेन वा ।समेति प्रज्ञया प्रज्ञा तयोर्मैत्री न जीर्यते ॥ ३४ ॥

Segmented

ययोः चित्तेन वा चित्तम् नैभृतम् समेति प्रज्ञया प्रज्ञा तयोः मैत्री न जीर्यते

Analysis

Word Lemma Parse
ययोः यद् pos=n,g=m,c=6,n=d
चित्तेन चित्त pos=n,g=n,c=3,n=s
वा वा pos=i
चित्तम् चित्त pos=n,g=n,c=1,n=s
नैभृतम् वा pos=i
समेति समि pos=v,p=3,n=s,l=lat
प्रज्ञया प्रज्ञा pos=n,g=f,c=3,n=s
प्रज्ञा प्रज्ञा pos=n,g=f,c=1,n=s
तयोः तद् pos=n,g=m,c=6,n=d
मैत्री मैत्री pos=n,g=f,c=1,n=s
pos=i
जीर्यते जृ pos=v,p=3,n=s,l=lat