महाभारतम् — 5.27.9
Original
Segmented
एवम् पुनः अर्थ-चर्या-प्रसक्तः हित्वा धर्मम् यः प्रकरोति अधर्मम् अश्रद्दधत् पर-लोकाय मूढो हित्वा देहम् तप्यते प्रेत्य मन्दः
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
एवम् | एवम् | pos=i |
पुनः | पुनर् | pos=i |
अर्थ | अर्थ | pos=n,comp=y |
चर्या | चर्या | pos=n,comp=y |
प्रसक्तः | प्रसञ्ज् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
हित्वा | हा | pos=vi |
धर्मम् | धर्म | pos=n,g=m,c=2,n=s |
यः | यद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
प्रकरोति | प्रकृ | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
अधर्मम् | अधर्म | pos=n,g=m,c=2,n=s |
अश्रद्दधत् | अश्रद्दधत् | pos=a,g=m,c=1,n=s |
पर | पर | pos=n,comp=y |
लोकाय | लोक | pos=n,g=m,c=4,n=s |
मूढो | मूढ | pos=a,g=m,c=1,n=s |
हित्वा | हा | pos=vi |
देहम् | देह | pos=n,g=m,c=2,n=s |
तप्यते | तप् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
प्रेत्य | प्रे | pos=vi |
मन्दः | मन्द | pos=a,g=m,c=1,n=s |