Original

निबन्धनी ह्यर्थतृष्णेह पार्थ तामेषतो बाध्यते धर्म एव ।धर्मं तु यः प्रवृणीते स बुद्धः कामे गृद्धो हीयतेऽर्थानुरोधात् ॥ ५ ॥

Segmented

निबन्धनी हि अर्थ-तृष्णा इह पार्थ ताम् एषतो बाध्यते धर्म धर्मम् तु यः प्रवृणीते स बुद्धः कामे गृद्धो हीयते अर्थ-अनुरोधात्

Analysis

Word Lemma Parse
निबन्धनी निबन्धन pos=a,g=f,c=1,n=s
हि हि pos=i
अर्थ अर्थ pos=n,comp=y
तृष्णा तृष्णा pos=n,g=f,c=1,n=s
इह इह pos=i
पार्थ पार्थ pos=n,g=m,c=8,n=s
ताम् तद् pos=n,g=f,c=2,n=s
एषतो बाध् pos=v,p=3,n=s,l=lat
बाध्यते धर्म pos=n,g=m,c=1,n=s
धर्म एव pos=i
धर्मम् धर्म pos=n,g=m,c=2,n=s
तु तु pos=i
यः यद् pos=n,g=m,c=1,n=s
प्रवृणीते प्रवृ pos=v,p=3,n=s,l=lat
तद् pos=n,g=m,c=1,n=s
बुद्धः बुध् pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part
कामे काम pos=n,g=m,c=7,n=s
गृद्धो गृध् pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part
हीयते हा pos=v,p=3,n=s,l=lat
अर्थ अर्थ pos=n,comp=y
अनुरोधात् अनुरोध pos=n,g=m,c=5,n=s