Original

अगस्त्य उवाच ।शृणु शक्र प्रियं वाक्यं यथा राजा दुरात्मवान् ।स्वर्गाद्भ्रष्टो दुराचारो नहुषो बलदर्पितः ॥ ७ ॥

Segmented

अगस्त्य उवाच शृणु शक्र प्रियम् वाक्यम् यथा राजा दुरात्मवान् स्वर्गाद् भ्रष्टो दुराचारो नहुषो बल-दर्पितः

Analysis

Word Lemma Parse
अगस्त्य अगस्त्य pos=n,g=m,c=1,n=s
उवाच वच् pos=v,p=3,n=s,l=lit
शृणु श्रु pos=v,p=2,n=s,l=lot
शक्र शक्र pos=n,g=m,c=8,n=s
प्रियम् प्रिय pos=a,g=n,c=2,n=s
वाक्यम् वाक्य pos=n,g=n,c=2,n=s
यथा यथा pos=i
राजा राजन् pos=n,g=m,c=1,n=s
दुरात्मवान् दुरात्मवत् pos=a,g=m,c=1,n=s
स्वर्गाद् स्वर्ग pos=n,g=m,c=5,n=s
भ्रष्टो भ्रंश् pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part
दुराचारो दुराचार pos=a,g=m,c=1,n=s
नहुषो नहुष pos=n,g=m,c=1,n=s
बल बल pos=n,comp=y
दर्पितः दर्पय् pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part