Original

त्रिविष्टपं प्रपद्यस्व पाहि लोकाञ्शचीपते ।जितेन्द्रियो जितामित्रः स्तूयमानो महर्षिभिः ॥ १७ ॥

Segmented

त्रिविष्टपम् प्रपद्यस्व पाहि लोकान् शचीपते जित-इन्द्रियः जित-अमित्रः स्तूयमानो महा-ऋषिभिः

Analysis

Word Lemma Parse
त्रिविष्टपम् त्रिविष्टप pos=n,g=n,c=2,n=s
प्रपद्यस्व प्रपद् pos=v,p=2,n=s,l=lot
पाहि पा pos=v,p=2,n=s,l=lot
लोकान् लोक pos=n,g=m,c=2,n=p
शचीपते शचीपति pos=n,g=m,c=8,n=s
जित जि pos=va,comp=y,f=part
इन्द्रियः इन्द्रिय pos=n,g=m,c=1,n=s
जित जि pos=va,comp=y,f=part
अमित्रः अमित्र pos=n,g=m,c=1,n=s
स्तूयमानो स्तु pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part
महा महत् pos=a,comp=y
ऋषिभिः ऋषि pos=n,g=m,c=3,n=p