Original

राष्ट्रात्प्रव्राजनं क्लेशं वनवासं च पाण्डव ।कृष्णायाश्च परिक्लेशं संस्मरन्पुरुषो भव ॥ १३ ॥

Segmented

राष्ट्रात् प्रव्राजनम् क्लेशम् वन-वासम् च पाण्डव कृष्णायाः च परिक्लेशम् संस्मरन् पुरुषो भव

Analysis

Word Lemma Parse
राष्ट्रात् राष्ट्र pos=n,g=n,c=5,n=s
प्रव्राजनम् प्रव्राजन pos=n,g=n,c=2,n=s
क्लेशम् क्लेश pos=n,g=m,c=2,n=s
वन वन pos=n,comp=y
वासम् वास pos=n,g=m,c=2,n=s
pos=i
पाण्डव पाण्डव pos=n,g=m,c=8,n=s
कृष्णायाः कृष्णा pos=n,g=f,c=6,n=s
pos=i
परिक्लेशम् परिक्लेश pos=n,g=m,c=2,n=s
संस्मरन् संस्मृ pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part
पुरुषो पुरुष pos=n,g=m,c=1,n=s
भव भू pos=v,p=2,n=s,l=lot