Original

त्वामृते न हि लोकेऽन्य एकाह्ना पृथिवीपते ।समर्थो योजनशतं गन्तुमश्वैर्नराधिप ॥ ५ ॥

Segmented

त्वाम् ऋते न हि लोके ऽन्य एक-अह्ना पृथिवीपते समर्थो योजन-शतम् गन्तुम् अश्वैः नर-अधिपैः

Analysis

Word Lemma Parse
त्वाम् त्वद् pos=n,g=,c=2,n=s
ऋते ऋते pos=i
pos=i
हि हि pos=i
लोके लोक pos=n,g=m,c=7,n=s
ऽन्य अन्य pos=n,g=m,c=1,n=s
एक एक pos=n,comp=y
अह्ना अहर् pos=n,g=n,c=3,n=s
पृथिवीपते पृथिवीपति pos=n,g=m,c=8,n=s
समर्थो समर्थ pos=a,g=m,c=1,n=s
योजन योजन pos=n,comp=y
शतम् शत pos=n,g=n,c=2,n=s
गन्तुम् गम् pos=vi
अश्वैः अश्व pos=n,g=m,c=3,n=p
नर नर pos=n,comp=y
अधिपैः अधिप pos=n,g=m,c=8,n=s