Original

यथेष्टं त्वं गृहाणेदमक्षाणां हृदयं परम् ।निक्षेपो मेऽश्वहृदयं त्वयि तिष्ठतु बाहुक ।एवमुक्त्वा ददौ विद्यामृतुपर्णो नलाय वै ॥ २६ ॥

Segmented

यथेष्टम् त्वम् गृहाण इदम् अक्षाणाम् हृदयम् परम् निक्षेपो मे अश्व-हृदयम् त्वयि तिष्ठतु बाहुक एवम् उक्त्वा ददौ विद्याम् ऋतुपर्णो नलाय वै

Analysis

Word Lemma Parse
यथेष्टम् यथेष्ट pos=a,g=n,c=2,n=s
त्वम् त्वद् pos=n,g=,c=1,n=s
गृहाण ग्रह् pos=v,p=2,n=s,l=lot
इदम् इदम् pos=n,g=n,c=2,n=s
अक्षाणाम् अक्ष pos=n,g=m,c=6,n=p
हृदयम् हृदय pos=n,g=n,c=2,n=s
परम् पर pos=n,g=n,c=2,n=s
निक्षेपो निक्षेप pos=n,g=m,c=1,n=s
मे मद् pos=n,g=,c=6,n=s
अश्व अश्व pos=n,comp=y
हृदयम् हृदय pos=n,g=n,c=1,n=s
त्वयि त्वद् pos=n,g=,c=7,n=s
तिष्ठतु स्था pos=v,p=3,n=s,l=lot
बाहुक बाहुक pos=n,g=m,c=8,n=s
एवम् एवम् pos=i
उक्त्वा वच् pos=vi
ददौ दा pos=v,p=3,n=s,l=lit
विद्याम् विद्या pos=n,g=f,c=2,n=s
ऋतुपर्णो ऋतुपर्ण pos=n,g=m,c=1,n=s
नलाय नल pos=n,g=m,c=4,n=s
वै वै pos=i