Original

भगवन्नचलश्रेष्ठ दिव्यदर्शन विश्रुत ।शरण्य बहुकल्याण नमस्तेऽस्तु महीधर ॥ ३९ ॥

Segmented

भगवन्न् अचल-श्रेष्ठ दिव्य-दर्शन विश्रुत शरण्य बहु-कल्याण नमस् ते ऽस्तु महीधर

Analysis

Word Lemma Parse
भगवन्न् भगवत् pos=a,g=m,c=8,n=s
अचल अचल pos=n,comp=y
श्रेष्ठ श्रेष्ठ pos=a,g=m,c=8,n=s
दिव्य दिव्य pos=a,comp=y
दर्शन दर्शन pos=n,g=m,c=8,n=s
विश्रुत विश्रु pos=va,g=m,c=8,n=s,f=part
शरण्य शरण्य pos=a,g=m,c=8,n=s
बहु बहु pos=a,comp=y
कल्याण कल्याण pos=a,g=m,c=8,n=s
नमस् नमस् pos=n,g=n,c=1,n=s
ते त्वद् pos=n,g=,c=4,n=s
ऽस्तु अस् pos=v,p=3,n=s,l=lot
महीधर महीधर pos=n,g=m,c=8,n=s