महाभारतम् — 3.45.36
Original
Segmented
गिरि-दुर्गेषु हि सदा देशेषु विषमेषु च वसन्ति राक्षसा रौद्रास् तेभ्यो रक्षेत् सदा भवान्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
गिरि | गिरि | pos=n,comp=y |
दुर्गेषु | दुर्ग | pos=n,g=n,c=7,n=p |
हि | हि | pos=i |
सदा | सदा | pos=i |
देशेषु | देश | pos=n,g=m,c=7,n=p |
विषमेषु | विषम | pos=a,g=m,c=7,n=p |
च | च | pos=i |
वसन्ति | वस् | pos=v,p=3,n=p,l=lat |
राक्षसा | राक्षस | pos=n,g=m,c=1,n=p |
रौद्रास् | रौद्र | pos=a,g=m,c=1,n=p |
तेभ्यो | तद् | pos=n,g=m,c=5,n=p |
रक्षेत् | रक्ष् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
सदा | सदा | pos=i |
भवान् | भवत् | pos=a,g=m,c=1,n=s |