महाभारतम् — 3.45.22
Original
Segmented
उद्वृत्ता हि असुराः केचिद् निवात-कवचाः इति विप्रियेषु स्थिताः नः वर-दानेन मोहिताः
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
उद्वृत्ता | उद्वृत् | pos=va,g=m,c=1,n=p,f=part |
हि | हि | pos=i |
असुराः | असुर | pos=n,g=m,c=1,n=p |
केचिद् | कश्चित् | pos=n,g=m,c=1,n=p |
निवात | निवात | pos=a,comp=y |
कवचाः | कवच | pos=n,g=m,c=1,n=p |
इति | इति | pos=i |
विप्रियेषु | विप्रिय | pos=n,g=n,c=7,n=p |
स्थिताः | स्था | pos=va,g=m,c=1,n=p,f=part |
नः | मद् | pos=n,g=,c=6,n=p |
वर | वर | pos=n,comp=y |
दानेन | दान | pos=n,g=n,c=3,n=s |
मोहिताः | मोहय् | pos=va,g=m,c=1,n=p,f=part |