महाभारतम् — 3.297.29
Original
Segmented
युधिष्ठिर उवाच श्रुतेन श्रोत्रियो भवति तपसा विन्दते महत् धृत्या द्वितीयवान् भवति बुद्धिमान् वृद्ध-सेवया
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
युधिष्ठिर | युधिष्ठिर | pos=n,g=m,c=1,n=s |
उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
श्रुतेन | श्रुत | pos=n,g=n,c=3,n=s |
श्रोत्रियो | श्रोत्रिय | pos=n,g=m,c=1,n=s |
भवति | भू | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
तपसा | तपस् | pos=n,g=n,c=3,n=s |
विन्दते | विद् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
महत् | महत् | pos=a,g=n,c=2,n=s |
धृत्या | धृति | pos=n,g=f,c=3,n=s |
द्वितीयवान् | द्वितीयवत् | pos=a,g=m,c=1,n=s |
भवति | भू | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
बुद्धिमान् | बुद्धिमत् | pos=a,g=m,c=1,n=s |
वृद्ध | वृद्ध | pos=a,comp=y |
सेवया | सेवा | pos=n,g=f,c=3,n=s |