महाभारतम् — 3.281.6
Original
Segmented
समासाद्य अथ सावित्री भर्तारम् उपगूह्य च उत्सङ्गे ऽस्य शिरः कृत्वा निषसाद मही-तले
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
समासाद्य | समासादय् | pos=vi |
अथ | अथ | pos=i |
सावित्री | सावित्री | pos=n,g=f,c=1,n=s |
भर्तारम् | भर्तृ | pos=n,g=m,c=2,n=s |
उपगूह्य | उपगुह् | pos=vi |
च | च | pos=i |
उत्सङ्गे | उत्सङ्ग | pos=n,g=m,c=7,n=s |
ऽस्य | इदम् | pos=n,g=m,c=6,n=s |
शिरः | शिरस् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
कृत्वा | कृ | pos=vi |
निषसाद | निषद् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
मही | मही | pos=n,comp=y |
तले | तल | pos=n,g=m,c=7,n=s |