Original

धृतराष्ट्र उवाच ।मृगया शोभना तात गवां च समवेक्षणम् ।विश्रम्भस्तु न गन्तव्यो बल्लवानामिति स्मरे ॥ ६ ॥

Segmented

धृतराष्ट्र उवाच मृगया शोभना तात गवाम् च समवेक्षणम् विश्रम्भस् तु न गन्तव्यो बल्लवानाम् इति स्मरे

Analysis

Word Lemma Parse
धृतराष्ट्र धृतराष्ट्र pos=n,g=m,c=1,n=s
उवाच वच् pos=v,p=3,n=s,l=lit
मृगया मृगया pos=n,g=f,c=1,n=s
शोभना शोभन pos=a,g=f,c=1,n=s
तात तात pos=n,g=m,c=8,n=s
गवाम् गो pos=n,g=,c=6,n=p
pos=i
समवेक्षणम् समवेक्षण pos=n,g=n,c=1,n=s
विश्रम्भस् विश्रम्भ pos=n,g=m,c=1,n=s
तु तु pos=i
pos=i
गन्तव्यो गम् pos=va,g=m,c=1,n=s,f=krtya
बल्लवानाम् बल्लव pos=n,g=m,c=6,n=p
इति इति pos=i
स्मरे स्मृ pos=v,p=1,n=s,l=lat