महाभारतम् — 3.189.21
Original
Segmented
मार्कण्डेय उवाच दयावान् सर्व-भूतेषु हितो रक्तो ऽनसूयकः अपत्यानाम् इव स्वेषाम् प्रजानाम् रक्षणे रतः चर धर्मम् त्यज अधर्मम् पितॄन् देवांः च पूजय
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
मार्कण्डेय | मार्कण्डेय | pos=n,g=m,c=1,n=s |
उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
दयावान् | दयावत् | pos=a,g=m,c=1,n=s |
सर्व | सर्व | pos=n,comp=y |
भूतेषु | भूत | pos=n,g=n,c=7,n=p |
हितो | हित | pos=a,g=m,c=1,n=s |
रक्तो | रक्त | pos=a,g=m,c=1,n=s |
ऽनसूयकः | अनसूयक | pos=a,g=m,c=1,n=s |
अपत्यानाम् | अपत्य | pos=n,g=n,c=6,n=p |
इव | इव | pos=i |
स्वेषाम् | स्व | pos=a,g=m,c=6,n=p |
प्रजानाम् | प्रजा | pos=n,g=f,c=6,n=p |
रक्षणे | रक्षण | pos=n,g=n,c=7,n=s |
रतः | रम् | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |
चर | चर् | pos=v,p=2,n=s,l=lot |
धर्मम् | धर्म | pos=n,g=m,c=2,n=s |
त्यज | त्यज् | pos=v,p=2,n=s,l=lot |
अधर्मम् | अधर्म | pos=n,g=m,c=2,n=s |
पितॄन् | पितृ | pos=n,g=m,c=2,n=p |
देवांः | देव | pos=n,g=m,c=2,n=p |
च | च | pos=i |
पूजय | पूजय् | pos=v,p=2,n=s,l=lot |