Original

धर्मे त्वयात्मा संयोज्यो नित्यं धर्मभृतां वर ।धर्मात्मा हि सुखं राजा प्रेत्य चेह च नन्दति ॥ १७ ॥

Segmented

धर्मे त्वया आत्मा संयोज्यो नित्यम् धर्म-भृताम् वर धर्म-आत्मा हि सुखम् राजा प्रेत्य च इह च नन्दति

Analysis

Word Lemma Parse
धर्मे धर्म pos=n,g=m,c=7,n=s
त्वया त्वद् pos=n,g=,c=3,n=s
आत्मा आत्मन् pos=n,g=m,c=1,n=s
संयोज्यो संयुज् pos=va,g=m,c=1,n=s,f=krtya
नित्यम् नित्यम् pos=i
धर्म धर्म pos=n,comp=y
भृताम् भृत् pos=a,g=m,c=6,n=p
वर वर pos=a,g=m,c=8,n=s
धर्म धर्म pos=n,comp=y
आत्मा आत्मन् pos=n,g=m,c=1,n=s
हि हि pos=i
सुखम् सुख pos=n,g=n,c=2,n=s
राजा राजन् pos=n,g=m,c=1,n=s
प्रेत्य प्रे pos=vi
pos=i
इह इह pos=i
pos=i
नन्दति नन्द् pos=v,p=3,n=s,l=lat