महाभारतम् — 3.189.1
Original
Segmented
मार्कण्डेय उवाच ततस् चोर-क्षयम् कृत्वा द्विजेभ्यः पृथिवीम् इमाम् वाजिमेधे महा-यज्ञे विधिवत् कल्पयिष्यति
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
मार्कण्डेय | मार्कण्डेय | pos=n,g=m,c=1,n=s |
उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
ततस् | ततस् | pos=i |
चोर | चोर | pos=n,comp=y |
क्षयम् | क्षय | pos=n,g=m,c=2,n=s |
कृत्वा | कृ | pos=vi |
द्विजेभ्यः | द्विज | pos=n,g=m,c=4,n=p |
पृथिवीम् | पृथिवी | pos=n,g=f,c=2,n=s |
इमाम् | इदम् | pos=n,g=f,c=2,n=s |
वाजिमेधे | वाजिमेध | pos=n,g=m,c=7,n=s |
महा | महत् | pos=a,comp=y |
यज्ञे | यज्ञ | pos=n,g=m,c=7,n=s |
विधिवत् | विधिवत् | pos=i |
कल्पयिष्यति | कल्पय् | pos=v,p=3,n=s,l=lrt |