महाभारतम् — 3.184.5
Original
Segmented
सरस्वती उवाच यो ब्रह्म जानाति यथाप्रदेशम् स्वाध्याय-नित्यः शुचिः अप्रमत्तः स वै पुरो देव-पुरस्य गन्ता सह अमरैः प्राप्नुयात् प्रीति-योगम्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
सरस्वती | सरस्वती | pos=n,g=f,c=1,n=s |
उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
यो | यद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
ब्रह्म | ब्रह्मन् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
जानाति | ज्ञा | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
यथाप्रदेशम् | यथाप्रदेशम् | pos=i |
स्वाध्याय | स्वाध्याय | pos=n,comp=y |
नित्यः | नित्य | pos=a,g=m,c=1,n=s |
शुचिः | शुचि | pos=a,g=m,c=1,n=s |
अप्रमत्तः | अप्रमत्त | pos=a,g=m,c=1,n=s |
स | तद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
वै | वै | pos=i |
पुरो | पुरस् | pos=i |
देव | देव | pos=n,comp=y |
पुरस्य | पुर | pos=n,g=n,c=6,n=s |
गन्ता | गम् | pos=v,p=3,n=s,l=lrt |
सह | सह | pos=i |
अमरैः | अमर | pos=n,g=m,c=3,n=p |
प्राप्नुयात् | प्राप् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
प्रीति | प्रीति | pos=n,comp=y |
योगम् | योग | pos=n,g=m,c=2,n=s |