महाभारतम् — 3.184.3
Original
Segmented
कथम् च अग्निम् जुहुयाम् पूजये वा कस्मिन् काले केन धर्मो न नश्येत् एतत् सर्वम् सुभगे प्रब्रवीहि यथा लोकान् विरजाः संचरेयम्
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| कथम् | कथम् | pos=i |
| च | च | pos=i |
| अग्निम् | अग्नि | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| जुहुयाम् | हु | pos=v,p=1,n=s,l=vidhilin |
| पूजये | पूजय् | pos=v,p=1,n=s,l=lat |
| वा | वा | pos=i |
| कस्मिन् | क | pos=n,g=m,c=7,n=s |
| काले | काल | pos=n,g=m,c=7,n=s |
| केन | क | pos=n,g=m,c=3,n=s |
| धर्मो | धर्म | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| न | न | pos=i |
| नश्येत् | नश् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
| एतत् | एतद् | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| सर्वम् | सर्व | pos=n,g=n,c=2,n=s |
| सुभगे | सुभग | pos=a,g=f,c=8,n=s |
| प्रब्रवीहि | प्रब्रू | pos=v,p=2,n=s,l=lot |
| यथा | यथा | pos=i |
| लोकान् | लोक | pos=n,g=m,c=2,n=p |
| विरजाः | विरजस् | pos=a,g=m,c=1,n=s |
| संचरेयम् | संचर् | pos=v,p=1,n=s,l=vidhilin |