Original

तार्क्ष्य उवाच ।क्षेत्रज्ञभूतां परलोकभावे कर्मोदये बुद्धिमतिप्रविष्टाम् ।प्रज्ञां च देवीं सुभगे विमृश्य पृच्छामि त्वां का ह्यसि चारुरूपे ॥ १६ ॥

Segmented

तार्क्ष्य उवाच क्षेत्रज्ञ-भूताम् पर-लोक-भावे कर्म-उदये बुद्धिम् अतिप्रविष्टाम् प्रज्ञाम् च देवीम् सुभगे विमृश्य पृच्छामि त्वाम् का हि असि चारु-रूपे

Analysis

Word Lemma Parse
तार्क्ष्य तार्क्ष्य pos=n,g=m,c=1,n=s
उवाच वच् pos=v,p=3,n=s,l=lit
क्षेत्रज्ञ क्षेत्रज्ञ pos=n,comp=y
भूताम् भू pos=va,g=f,c=2,n=s,f=part
पर पर pos=n,comp=y
लोक लोक pos=n,comp=y
भावे भाव pos=n,g=m,c=7,n=s
कर्म कर्मन् pos=n,comp=y
उदये उदय pos=n,g=m,c=7,n=s
बुद्धिम् बुद्धि pos=n,g=f,c=2,n=s
अतिप्रविष्टाम् अतिप्रविष्ट pos=a,g=f,c=2,n=s
प्रज्ञाम् प्रज्ञा pos=n,g=f,c=2,n=s
pos=i
देवीम् देवी pos=n,g=f,c=2,n=s
सुभगे सुभग pos=a,g=f,c=8,n=s
विमृश्य विमृश् pos=vi
पृच्छामि प्रच्छ् pos=v,p=1,n=s,l=lat
त्वाम् त्वद् pos=n,g=,c=2,n=s
का pos=n,g=f,c=1,n=s
हि हि pos=i
असि अस् pos=v,p=2,n=s,l=lat
चारु चारु pos=a,comp=y
रूपे रूप pos=n,g=f,c=8,n=s