Original

ततोऽब्रवीद्धनाध्यक्षः शरण्यः शरणागतम् ।मानहा भव शत्रूणां सुहृदां नन्दिवर्धनः ॥ २६ ॥

Segmented

ततो ऽब्रवीद् धनाध्यक्षः शरण्यः शरण-आगतम् मान-हा भव शत्रूणाम् सुहृदाम् नन्दि-वर्धनः

Analysis

Word Lemma Parse
ततो ततस् pos=i
ऽब्रवीद् ब्रू pos=v,p=3,n=s,l=lan
धनाध्यक्षः धनाध्यक्ष pos=n,g=m,c=1,n=s
शरण्यः शरण्य pos=a,g=m,c=1,n=s
शरण शरण pos=n,comp=y
आगतम् आगम् pos=va,g=m,c=2,n=s,f=part
मान मान pos=n,comp=y
हा हन् pos=a,g=m,c=1,n=s
भव भू pos=v,p=2,n=s,l=lot
शत्रूणाम् शत्रु pos=n,g=m,c=6,n=p
सुहृदाम् सुहृद् pos=n,g=m,c=6,n=p
नन्दि नन्दि pos=n,comp=y
वर्धनः वर्धन pos=a,g=m,c=1,n=s