महाभारतम् — 3.120.6
Original
Segmented
त्वम् हि एव कोपात् पृथिवीम् अपि इमाम् संवेष्टयेस् तिष्ठतु शार्ङ्गधन्वा स धार्तराष्ट्रम् जहि सानुबन्धम् वृत्रम् यथा देवपतिः महेन्द्रः
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
त्वम् | त्वद् | pos=n,g=,c=1,n=s |
हि | हि | pos=i |
एव | एव | pos=i |
कोपात् | कोप | pos=n,g=m,c=5,n=s |
पृथिवीम् | पृथिवी | pos=n,g=f,c=2,n=s |
अपि | अपि | pos=i |
इमाम् | इदम् | pos=n,g=f,c=2,n=s |
संवेष्टयेस् | संवेष्टय् | pos=v,p=2,n=s,l=vidhilin |
तिष्ठतु | स्था | pos=v,p=3,n=s,l=lot |
शार्ङ्गधन्वा | शार्ङ्गधन्वन् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
स | तद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
धार्तराष्ट्रम् | धार्तराष्ट्र | pos=n,g=m,c=2,n=s |
जहि | हा | pos=v,p=2,n=s,l=lot |
सानुबन्धम् | सानुबन्ध | pos=a,g=m,c=2,n=s |
वृत्रम् | वृत्र | pos=n,g=m,c=2,n=s |
यथा | यथा | pos=i |
देवपतिः | देवपति | pos=n,g=m,c=1,n=s |
महेन्द्रः | महेन्द्र | pos=n,g=m,c=1,n=s |