महाभारतम् — 16.3.4
Original
Segmented
विवृद्ध-मूषक रथ्या विभिद्-मणिक तथा चीचीकूची इति वाश्यन्त्यः सारिका वृष्णि-वेश्मसु न उपशाम्यति शब्दः च स दिवारात्रम् एव हि
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
विवृद्ध | विवृध् | pos=va,comp=y,f=part |
मूषक | मूषक | pos=n,g=f,c=1,n=p |
रथ्या | रथ्या | pos=n,g=f,c=1,n=p |
विभिद् | विभिद् | pos=va,comp=y,f=part |
मणिक | मणिक | pos=n,g=f,c=1,n=p |
तथा | तथा | pos=i |
चीचीकूची | चीचीकूची | pos=n,g=f,c=1,n=s |
इति | इति | pos=i |
वाश्यन्त्यः | वाश् | pos=va,g=f,c=1,n=p,f=part |
सारिका | सारिका | pos=n,g=f,c=1,n=p |
वृष्णि | वृष्णि | pos=n,comp=y |
वेश्मसु | वेश्मन् | pos=n,g=n,c=7,n=p |
न | न | pos=i |
उपशाम्यति | उपशम् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
शब्दः | शब्द | pos=n,g=m,c=1,n=s |
च | च | pos=i |
स | तद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
दिवारात्रम् | दिवारात्र | pos=n,g=m,c=2,n=s |
एव | एव | pos=i |
हि | हि | pos=i |