महाभारतम् — 14.9.30
Original
Segmented
प्रव्राजयेयम् कालकेयान् पृथिव्याम् अपाकर्षम् दानवान् अन्तरिक्षात् दिवः प्रह्रादम् अवसानम् आनयम् को मे ऽसुखाय प्रहरेत मर्त्यः
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
प्रव्राजयेयम् | प्रव्राजय् | pos=v,p=1,n=s,l=vidhilin |
कालकेयान् | कालकेय | pos=n,g=m,c=2,n=p |
पृथिव्याम् | पृथिवी | pos=n,g=f,c=7,n=s |
अपाकर्षम् | अपकृष् | pos=v,p=1,n=s,l=lan |
दानवान् | दानव | pos=n,g=m,c=2,n=p |
अन्तरिक्षात् | अन्तरिक्ष | pos=n,g=n,c=5,n=s |
दिवः | दिव् | pos=n,g=,c=6,n=s |
प्रह्रादम् | प्रह्राद | pos=n,g=m,c=2,n=s |
अवसानम् | अवसान | pos=n,g=n,c=2,n=s |
आनयम् | आनी | pos=v,p=1,n=s,l=lan |
को | क | pos=n,g=m,c=1,n=s |
मे | मद् | pos=n,g=,c=6,n=s |
ऽसुखाय | असुख | pos=n,g=n,c=4,n=s |
प्रहरेत | प्रहृ | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
मर्त्यः | मर्त्य | pos=n,g=m,c=1,n=s |