महाभारतम् — 14.9.1
Original
Segmented
इन्द्र उवाच कच्चित् सुखम् स्वपिषि त्वम् बृहस्पते कच्चित् मनोज्ञाः परिचारकाः ते कच्चिद् देवानाम् सुख-कामः ऽसि विप्र कच्चिद् देवाः त्वा परिपालयन्ति
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
इन्द्र | इन्द्र | pos=n,g=m,c=1,n=s |
उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
कच्चित् | कच्चित् | pos=i |
सुखम् | सुखम् | pos=i |
स्वपिषि | स्वप् | pos=v,p=2,n=s,l=lat |
त्वम् | त्वद् | pos=n,g=,c=1,n=s |
बृहस्पते | बृहस्पति | pos=n,g=m,c=8,n=s |
कच्चित् | कच्चित् | pos=i |
मनोज्ञाः | मनोज्ञ | pos=a,g=m,c=1,n=p |
परिचारकाः | परिचारक | pos=n,g=m,c=1,n=p |
ते | त्वद् | pos=n,g=,c=6,n=s |
कच्चिद् | कच्चित् | pos=i |
देवानाम् | देव | pos=n,g=m,c=6,n=p |
सुख | सुख | pos=n,comp=y |
कामः | काम | pos=n,g=m,c=1,n=s |
ऽसि | अस् | pos=v,p=2,n=s,l=lat |
विप्र | विप्र | pos=n,g=m,c=8,n=s |
कच्चिद् | कच्चित् | pos=i |
देवाः | देव | pos=n,g=m,c=1,n=p |
त्वा | त्वद् | pos=n,g=,c=2,n=s |
परिपालयन्ति | परिपालय् | pos=v,p=3,n=p,l=lat |