Original

परा हि सा गतिः पार्थ यत्तद्ब्रह्म सनातनम् ।यत्रामृतत्वं प्राप्नोति त्यक्त्वा दुःखं सदा सुखी ॥ ५५ ॥

Segmented

परा हि सा गतिः पार्थ यत् तद् ब्रह्म सनातनम् यत्र अमृत-त्वम् प्राप्नोति त्यक्त्वा दुःखम् सदा सुखी

Analysis

Word Lemma Parse
परा पर pos=n,g=f,c=1,n=s
हि हि pos=i
सा तद् pos=n,g=f,c=1,n=s
गतिः गति pos=n,g=f,c=1,n=s
पार्थ पार्थ pos=n,g=m,c=8,n=s
यत् यद् pos=n,g=n,c=1,n=s
तद् तद् pos=n,g=n,c=1,n=s
ब्रह्म ब्रह्मन् pos=n,g=n,c=1,n=s
सनातनम् सनातन pos=a,g=n,c=1,n=s
यत्र यत्र pos=i
अमृत अमृत pos=a,comp=y
त्वम् त्व pos=n,g=n,c=2,n=s
प्राप्नोति प्राप् pos=v,p=3,n=s,l=lat
त्यक्त्वा त्यज् pos=vi
दुःखम् दुःख pos=n,g=n,c=2,n=s
सदा सदा pos=i
सुखी सुखिन् pos=a,g=m,c=1,n=s