महाभारतम् — 13.41.33
Original
Segmented
विपुलस्य गुरौ वृत्तिम् भक्तिम् आत्मनि च प्रभुः धर्मे च स्थिर-ताम् दृष्ट्वा साधु साधु इति उवाच ह
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| विपुलस्य | विपुल | pos=n,g=m,c=6,n=s |
| गुरौ | गुरु | pos=n,g=m,c=7,n=s |
| वृत्तिम् | वृत्ति | pos=n,g=f,c=2,n=s |
| भक्तिम् | भक्ति | pos=n,g=f,c=2,n=s |
| आत्मनि | आत्मन् | pos=n,g=m,c=7,n=s |
| च | च | pos=i |
| प्रभुः | प्रभु | pos=a,g=m,c=1,n=s |
| धर्मे | धर्म | pos=n,g=m,c=7,n=s |
| च | च | pos=i |
| स्थिर | स्थिर | pos=a,comp=y |
| ताम् | ता | pos=n,g=f,c=2,n=s |
| दृष्ट्वा | दृश् | pos=vi |
| साधु | साधु | pos=a,g=n,c=1,n=s |
| साधु | साधु | pos=a,g=n,c=1,n=s |
| इति | इति | pos=i |
| उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
| ह | ह | pos=i |