Original

उमोवाच ।भगवन्संशयो मेऽत्र तं मे व्याख्यातुमर्हसि ।चातुर्वर्ण्यस्य धर्मं हि नैपुण्येन प्रकीर्तय ॥ ३४ ॥

Segmented

उमा उवाच भगवन् संशयो मे ऽत्र तम् मे व्याख्यातुम् अर्हसि चातुर्वर्ण्यस्य धर्मम् हि नैपुण्येन प्रकीर्तय

Analysis

Word Lemma Parse
उमा उमा pos=n,g=f,c=1,n=s
उवाच वच् pos=v,p=3,n=s,l=lit
भगवन् भगवन्त् pos=n,g=m,c=8,n=s
संशयो संशय pos=n,g=m,c=1,n=s
मे मद् pos=n,g=,c=6,n=s
ऽत्र अत्र pos=i
तम् तद् pos=n,g=m,c=2,n=s
मे मद् pos=n,g=,c=6,n=s
व्याख्यातुम् व्याख्या pos=vi
अर्हसि अर्ह् pos=v,p=2,n=s,l=lat
चातुर्वर्ण्यस्य चातुर्वर्ण्य pos=n,g=n,c=6,n=s
धर्मम् धर्म pos=n,g=m,c=2,n=s
हि हि pos=i
नैपुण्येन नैपुण्य pos=n,g=n,c=3,n=s
प्रकीर्तय प्रकीर्तय् pos=v,p=2,n=s,l=lot