Original

उपवासः सदा धर्मो ब्राह्मणस्य न संशयः ।स हि धर्मार्थमुत्पन्नो ब्रह्मभूयाय कल्पते ॥ ३१ ॥

Segmented

उपवासः सदा धर्मो ब्राह्मणस्य न संशयः स हि धर्म-अर्थम् उत्पन्नो ब्रह्म-भूयाय कल्पते

Analysis

Word Lemma Parse
उपवासः उपवास pos=n,g=m,c=1,n=s
सदा सदा pos=i
धर्मो धर्म pos=n,g=m,c=1,n=s
ब्राह्मणस्य ब्राह्मण pos=n,g=m,c=6,n=s
pos=i
संशयः संशय pos=n,g=m,c=1,n=s
तद् pos=n,g=m,c=1,n=s
हि हि pos=i
धर्म धर्म pos=n,comp=y
अर्थम् अर्थ pos=n,g=m,c=2,n=s
उत्पन्नो उत्पद् pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part
ब्रह्म ब्रह्मन् pos=n,comp=y
भूयाय भूय pos=n,g=n,c=4,n=s
कल्पते क्ᄆप् pos=v,p=3,n=s,l=lat