महाभारतम् — 12.94.11
Original
Segmented
प्रिये न अति भृशम् हृष्येद् अप्रिये न च संज्वरेत् न मुह्येद् अर्थ-कृच्छ्रेषु प्रजा-हितम् अनुस्मरन्
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
प्रिये | प्रिय | pos=a,g=n,c=7,n=s |
न | न | pos=i |
अति | अति | pos=i |
भृशम् | भृशम् | pos=i |
हृष्येद् | हृष् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
अप्रिये | अप्रिय | pos=a,g=n,c=7,n=s |
न | न | pos=i |
च | च | pos=i |
संज्वरेत् | संज्वर् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
न | न | pos=i |
मुह्येद् | मुह् | pos=v,p=3,n=s,l=vidhilin |
अर्थ | अर्थ | pos=n,comp=y |
कृच्छ्रेषु | कृच्छ्र | pos=n,g=n,c=7,n=p |
प्रजा | प्रजा | pos=n,comp=y |
हितम् | हित | pos=a,g=n,c=2,n=s |
अनुस्मरन् | अनुस्मृ | pos=va,g=m,c=1,n=s,f=part |