महाभारतम् — 12.82.1
Original
Segmented
युधिष्ठिर उवाच एवम् अग्राह्यके तस्मिञ् ज्ञाति-सम्बन्धि-मण्डले मित्रेषु अमित्रेषु अपि च कथम् भावो विभाव्यते
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
युधिष्ठिर | युधिष्ठिर | pos=n,g=m,c=1,n=s |
उवाच | वच् | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
एवम् | एवम् | pos=i |
अग्राह्यके | अग्राह्यक | pos=a,g=n,c=7,n=s |
तस्मिञ् | तद् | pos=n,g=n,c=7,n=s |
ज्ञाति | ज्ञाति | pos=n,comp=y |
सम्बन्धि | सम्बन्धिन् | pos=a,comp=y |
मण्डले | मण्डल | pos=n,g=n,c=7,n=s |
मित्रेषु | मित्र | pos=n,g=m,c=7,n=p |
अमित्रेषु | अमित्र | pos=n,g=m,c=7,n=p |
अपि | अपि | pos=i |
च | च | pos=i |
कथम् | कथम् | pos=i |
भावो | भाव | pos=n,g=m,c=1,n=s |
विभाव्यते | विभावय् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |