महाभारतम् — 12.29.117
Original
Segmented
ब्राह्मणेभ्यो ददौ निष्कान् सदसि प्रतते नृपः तुभ्यम् तुभ्यम् निष्कम् इति यत्र आक्रोशन्ति वै द्विजाः सहस्रम् तुभ्यम् इति उक्त्वा ब्राह्मणान् स्म प्रपद्यते
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
ब्राह्मणेभ्यो | ब्राह्मण | pos=n,g=m,c=4,n=p |
ददौ | दा | pos=v,p=3,n=s,l=lit |
निष्कान् | निष्क | pos=n,g=m,c=2,n=p |
सदसि | सदस् | pos=n,g=n,c=7,n=s |
प्रतते | प्रतन् | pos=va,g=n,c=7,n=s,f=part |
नृपः | नृप | pos=n,g=m,c=1,n=s |
तुभ्यम् | त्वद् | pos=n,g=,c=4,n=s |
तुभ्यम् | त्वद् | pos=n,g=,c=4,n=s |
निष्कम् | निष्क | pos=n,g=m,c=2,n=s |
इति | इति | pos=i |
यत्र | यत्र | pos=i |
आक्रोशन्ति | आक्रुश् | pos=v,p=3,n=p,l=lat |
वै | वै | pos=i |
द्विजाः | द्विज | pos=n,g=m,c=1,n=p |
सहस्रम् | सहस्र | pos=n,g=n,c=1,n=s |
तुभ्यम् | त्वद् | pos=n,g=,c=4,n=s |
इति | इति | pos=i |
उक्त्वा | वच् | pos=vi |
ब्राह्मणान् | ब्राह्मण | pos=n,g=m,c=2,n=p |
स्म | स्म | pos=i |
प्रपद्यते | प्रपद् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |