महाभारतम् — 12.288.36
Original
Segmented
शिश्न-उदरे ये ऽभिरताः सदा एव स्तेना नरा वाच्-परुषाः च नित्यम् अपेत-दोषान् इति तान् विदित्वा दूराद् देवाः सम्परिवर्जयन्ति
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
शिश्न | शिश्न | pos=n,comp=y |
उदरे | उदर | pos=n,g=n,c=7,n=s |
ये | यद् | pos=n,g=m,c=1,n=p |
ऽभिरताः | अभिरम् | pos=va,g=m,c=1,n=p,f=part |
सदा | सदा | pos=i |
एव | एव | pos=i |
स्तेना | स्तेन | pos=n,g=m,c=1,n=p |
नरा | नर | pos=n,g=m,c=1,n=p |
वाच् | वाच् | pos=n,comp=y |
परुषाः | परुष | pos=a,g=m,c=1,n=p |
च | च | pos=i |
नित्यम् | नित्यम् | pos=i |
अपेत | अपे | pos=va,comp=y,f=part |
दोषान् | दोष | pos=n,g=m,c=2,n=p |
इति | इति | pos=i |
तान् | तद् | pos=n,g=m,c=2,n=p |
विदित्वा | विद् | pos=vi |
दूराद् | दूरात् | pos=i |
देवाः | देव | pos=n,g=m,c=1,n=p |
सम्परिवर्जयन्ति | सम्परिवर्जय् | pos=v,p=3,n=p,l=lat |