महाभारतम् — 12.287.15
Original
Segmented
प्रसक्त-बुद्धिः विषयेषु यो नरो यो बुध्यते हि आत्म-हितम् कदाचन स सर्व-भाव-अनुगतेन चेतसा नृप आमिषेन इव झषो विकृष्यते
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
प्रसक्त | प्रसञ्ज् | pos=va,comp=y,f=part |
बुद्धिः | बुद्धि | pos=n,g=m,c=1,n=s |
विषयेषु | विषय | pos=n,g=m,c=7,n=p |
यो | यद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
नरो | नर | pos=n,g=m,c=1,n=s |
यो | यद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
बुध्यते | बुध् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
हि | हि | pos=i |
आत्म | आत्मन् | pos=n,comp=y |
हितम् | हित | pos=a,g=n,c=2,n=s |
कदाचन | कदाचन | pos=i |
स | तद् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
सर्व | सर्व | pos=n,comp=y |
भाव | भाव | pos=n,comp=y |
अनुगतेन | अनुगम् | pos=va,g=n,c=3,n=s,f=part |
चेतसा | चेतस् | pos=n,g=n,c=3,n=s |
नृप | नृप | pos=n,g=m,c=8,n=s |
आमिषेन | आमिष | pos=n,g=n,c=3,n=s |
इव | इव | pos=i |
झषो | झष | pos=n,g=m,c=1,n=s |
विकृष्यते | विकृष् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |