महाभारतम् — 12.272.29
Original
Segmented
ततो अङ्गिरः-सुतः श्रीमान् ते च एव परम-ऋषयः दृष्ट्वा वृत्रस्य विक्रान्तम् उपगम्य महेश्वरम् ऊचुः वृत्र-विनाश-अर्थम् लोकानाम् हित-काम्या
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
ततो | ततस् | pos=i |
अङ्गिरः | अङ्गिरस् | pos=n,comp=y |
सुतः | सुत | pos=n,g=m,c=1,n=s |
श्रीमान् | श्रीमत् | pos=a,g=m,c=1,n=s |
ते | तद् | pos=n,g=m,c=1,n=p |
च | च | pos=i |
एव | एव | pos=i |
परम | परम | pos=a,comp=y |
ऋषयः | ऋषि | pos=n,g=m,c=1,n=p |
दृष्ट्वा | दृश् | pos=vi |
वृत्रस्य | वृत्र | pos=n,g=m,c=6,n=s |
विक्रान्तम् | विक्रान्त | pos=n,g=n,c=2,n=s |
उपगम्य | उपगम् | pos=vi |
महेश्वरम् | महेश्वर | pos=n,g=m,c=2,n=s |
ऊचुः | वच् | pos=v,p=3,n=p,l=lit |
वृत्र | वृत्र | pos=n,comp=y |
विनाश | विनाश | pos=n,comp=y |
अर्थम् | अर्थ | pos=n,g=m,c=2,n=s |
लोकानाम् | लोक | pos=n,g=m,c=6,n=p |
हित | हित | pos=n,comp=y |
काम्या | काम्या | pos=n,g=f,c=3,n=s |