महाभारतम् — 12.265.19
Original
Segmented
प्रज्ञा-चक्षुः यदा कामे दोषम् एव अनुपश्यति विरज्यते तदा कामात् न च धर्मम् विमुञ्चति
Analysis
| Word | Lemma | Parse |
|---|---|---|
| प्रज्ञा | प्रज्ञा | pos=n,comp=y |
| चक्षुः | चक्षुस् | pos=n,g=m,c=1,n=s |
| यदा | यदा | pos=i |
| कामे | काम | pos=n,g=m,c=7,n=s |
| दोषम् | दोष | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| एव | एव | pos=i |
| अनुपश्यति | अनुपश् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
| विरज्यते | विरञ्ज् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
| तदा | तदा | pos=i |
| कामात् | काम | pos=n,g=m,c=5,n=s |
| न | न | pos=i |
| च | च | pos=i |
| धर्मम् | धर्म | pos=n,g=m,c=2,n=s |
| विमुञ्चति | विमुच् | pos=v,p=3,n=s,l=lat |